
अकथ पर कथाएँ घुमड़ रही हैं
कथा
यानि जो नहीं है पर है
यानि जो है पर नहीं है
ये उस अकथ पर घुमड़ रही हैं जो
न है न नहीं है
जो होने न होने से न्यारा है
मैं भी एक कथा हूँ
जैसे आप हो
और हम सब एक दूसरे की बहुत सारी कथाओं के हिस्से हैं
जो बनते खोते रहते हैं
काम कथा राम कथा
आत्म कथा अनात्म कथा
धर्म कथा अधर्म कथा
बदनाम कथा सरनाम कथा
अथ कथा इति कथा
काल कथा स्थान कथा
देश कथा धर्म कथा
सत्य कथा असत्य कथा
जीवन कथा मृत्यु कथा
कथा कथा कथा कथा कथा
मिलने की कथा बिछुड़ने की कथा
प्रेम कथा घृणा कथा
परिवार कथा समाज कथा
दुर्भाग्य कथा सौभाग्य कथा
बाम कथा दाय कथा
नीति कथा अनीति कथा
न्याय कथा अन्याय कथा
सदाचार कथा व्यभिचार कथा
सम्मति कथा असम्मति कथा
कथा कथा कथा कथा कथा
कथाएँ उमड़ती हैं घुमड़ती हैं
घुलती हैं बरसती हैं मिटती हैं
कथाक्रम अनवरत
चलता जाता चलता जाता चलता जाता
उकता गए कथाओं से
कथाओं को न बदलो कथाकार का कथा से भेद समझो
अकथ को पुकारो
असम्भव प्रश्न उठाओ
अकथ ठीक वहीं है जहाँ कथा है
निर्लिप्त निर्विकार निर्वैर
जो है नहीं है
है नहीं से न्यारा है वह अकथ ही है
आह! यदि यह गुनकर भी
अकथ नहीं गूँजा
तो यह भी एक कथा है
धर्मराज
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