अगर पूछा जाय
आपको उनकी शिक्षा से क्या मिला
आप हृदय में अनजाने अतिरेक से उमड़ें रीझें
झूम झूम जाएँ
पर लाख चाह कर कुछ न कह पाएँ
कोई उत्तर बन ही न पाए
तो फिर राज बूझिए
शिक्षाएँ जीवन से सिद्ध हो चली हैं
मिलने की बात ही भिक्षाबुद्धि की है
शिक्षाएँ तो बस भिक्षा दृष्टिकोण
भिक्षापात्र के साथ छीन जाती हैं
जो है वह सदा ही आपूर महोत्सव है
पूछा जाय
उनकी शिक्षाएँ क्या राह दिखाती हैं
आप इस पूछने पर निरुत्तर रह जाएँ
प्रश्न को भीतर उतरते घुमड़ते और विदा होते
देखते रह जाएँ
राज बूझिए
शिक्षाएँ जीवन में उतर चली हैं
वे कुछ दिखाती नहीं हैं
वे देखने पर अड़े और पड़े सींखचें हटाती हैं
जो दिखने जैसा है वह सदा दिख ही रहा है
उसमें देखने वाला ही तो पर्दा है
पूछा जाय
शिक्षाओं में निज कल्याण के लिए अनूठा भला क्या है
आप अपने होने के धन्य ध्वंस के अतिरिक्त
कोई उत्तर न दे सकें
राज बूझिए
यह दिखाना कि निज कल्याण ही मनुष्य जीवन के
सकल दुखों की जननी है
यह बोध कि
निज ध्वंस ही जीवन में धन्यता का द्वार है
शिक्षाओं को अनूठा कर जाता है
आख़िर अपनी बंद जेब में भला कहाँ फूल खिल सकते हैं
फूल उसी ज़मीन उसी आसमान उन्हीं हवाओं में खिलते हैं
जो समूचे अस्तित्व से अखंड है
निजता से मुक्त हो मनुष्य भी
उसी धरातल पर धन्य हो सकता है
जो अखंड है
पूछा जाय
शिक्षाओं में करुणा कहाँ है मैत्री कहाँ है मुदिता कहाँ है
सदा सर्वदा निष्कलुष असंग कहाँ है
आप खोज खोज कर उन्हें न दिखा सकें
पा ही न सकें
बस गलते दुःख वैर द्वंद्व शोक पर
और प्रेम के अभाव पर अनचुनी नज़र बहती रहे तो
मुस्कुराते हुए राज बूझिए
प्रकाशित वस्तुएँ दिखती हैं
प्रकाश नहीं
यह हमारी समझ से न्यारा प्रेम ही बिना चुने उसे देख रहा है
जो प्रेम नहीं है
इस हो रहे हमारे प्रेमहीन सर्वस्व के विसर्जन में
वह अशेष दैदीप्यमान प्रेम ही मात्र तो पीछे दमक रहा है
पूछा जाय
शिक्षाओं में सत्य का उद्घोष कहाँ है
चुप हो जाइए
चुप्पी को ज़रा कहने दीजिए
जो सत्य नहीं है जो गढ़ंत है
शिक्षाओं के आलोक में हो रहे उसके सम्यक् अवसान से
सहज ही तो सत्य का अपरोक्ष उदय या उद्घाटन है
इससे जीवंत भला क्या सत्य का उद्घोष होगा
उनकी हमारे सारे नपुंसक उत्तर हरने वाली
उत्तरहारी शिक्षाएँ
पूरी मनुष्य चेतना के लिए अपूर्व आशीष हैं
अवसर हैं
कदाचित पूर्ण और एक मात्र सम्यक् कल्याण की
सम्भावनाएँ हैं
कृष्ण जी (जे० कृष्णमूर्ति) की पुण्यतिथि पर भावांजलि
धर्मराज
17 February 2023
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