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Writer's pictureDharmraj

कविताएँ जिन्होंने कवि का भाग्य लिखा



ऋचाएँ

जो ऋषियों के हृदय से उमगीं

वे अनंत महासूर्यों में मूर्त हो हो

दैदीप्यमान होती गई

वे पूर्ण हैं सदा सिद्ध हैं

कविताएँ

जिन्होंने कवि का भाग्य लिखा

वे कवि को लेकर

चँद्रमा में लीन होती गईं

वह चँद्रमा का अमावस को अँधेरे में खोते जाना

कविता का कवि को अज्ञेय में गोता लगवाना है

जहाँ से फिर वह अपनी अशेष सम्भावनाओं के साथ कवि को लेकर

पड़वा को अंकुरित होती है

दूज तीज चौथ से होती हुई चौदस तक पहुँची कविता

छलाँग मारती है अपनी सम्पूर्णता में

पूरणमासी को

अपनी रजत रश्मियों से

फैला जाती है चहुँ ओर कवि को

वह अज्ञेय अमूर्त से उगा कवि

फैल जाता है अज्ञेय मूर्त तक

और कविता वह कवि की सोखी हुई पूर्णता लेकर

फिर लौट पड़ती है गलती हुई अमावस की ओर

फिर से किसी बड़भागे को लेकर

अज्ञेय के गर्भ में डूबने को

कविताएँ अपनी सतत सृजनात्मक सम्भावनाओं के साथ

ऋचाओं की महिमा का भी अतिक्रमण कर जाती हैं


धर्मराज

20 January 2023


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1 Comment


bhavna vyas
bhavna vyas
May 01, 2023

ह्रदय के पार से जहां मैं नहीं हूं वहां से आपको बहुत-बहुत साधुवाद भैया

जीवन को नया आयाम देने के लिएआप होश के सानिध्य में आकर मैं मिट्टती जा रही जीवन धन्य हो गया🙏🍀❤️

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