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कौन उगा कौन डूबा



विदा की बेला है प्रेमी युगल गोधूलि में डूबते दिनकर को साथ साथ निहार रहे हैं अकुला कर प्रेयसी पूछती है क्या हमारे बीच प्रेम डूब रहा है

प्रेमी मुस्कुरा उठता है साँझ की लाली उसके होठों की चौखट लांघ दंतपंक्तियों पर पसर जाती है देवी! प्रेम उगा कब था

वह तो सूर्य सा शाश्वत है यह तो हम हैं जो मन की धरती पर सवार उसके सम्मुख साथ साथ उग आए थे अब अलग अलग डूब रहे हैं

धर्मराज 12/08/2023

 
 
 

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