top of page
Image by NordWood Themes
Image by NordWood Themes
Writer's pictureDharmraj

जीवन और मृत्यु: एक ही सिक्के के दो पहलू (सांझ का सत्र, 22 जनवरी 2024)

सांझ का सत्र, 22 जनवरी 2024


यह निश्चित है कि वह एक दिन आ ही जाता है, और जब वो आता है तो जीवन सदा के लिए पावन हो जाता है।


जीवन कुछ लोगों को तैयार करता है और उनके जीवन में बहुत सारे कष्ट और परेशानियां भी आती हैं।

यदि जीवन और मृत्यु को एक साथ घोल करके फेंट दिया जाए तो क्या बचेगा? सागर के दो किनारे अलग-अलग होते हैं इसलिए उनको एक साथ नहीं मिलाया जा सकता, बीच में सागर है। पर जीवन और मृत्यु एक साथ फेंटे भी जा सकते हैं, क्योंकि यह अलग अलग नहीं हैं, एक ही हैं।


आपको क्या लगता है कि पृथ्वी पर आठ अरब जीवन एक साथ जिए जा रहे हैं, जीवन अखंड है उसमें कोई विभाजन नहीं है।


यदि आपने मृत्यु को अभी देख लिया तो क्या जीवन एक मजाक नहीं हो गया? अतीत कहां है और भविष्य कहां है, दोनों ही तो एक कल्पना मात्र हैं। भविष्य और अतीत की मृत्यु ही तो बेहोशी का अंत है।

यदि आप काठी के बर्तन में दाल पकाएंगे तो क्या होगा? जिन्होंने कहा अहम ब्रह्मास्मी या ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या तो वो उसके साथ नाचे भी होंगे। आप क्यों किसी और से कुछ उधार लेकर के बात करना चाहते हो, अपना रास्ता स्वयं बनाओ, तभी उसका कोई अर्थ है। जब उन्होंने कहा ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या तो ब्रह्म उनके लिए सत्य था, अभी तो हमारे लिए ब्रह्म भी एक कल्पना मात्र है। सब कुछ मिथ्या थोड़ी ही है सत्य भी है, पर उसकी कल्पना नहीं करनी है, नहीं तो वह भी एक सिद्धांत बन कर रह जाएगा, सत्य तो जीवन में उतरना चाहिए, तभी वह सार्थक है।


यदि आपके जीवन में बदनामी आनी ही है तो आज ही क्यों ना आ जाए, आपको किस चीज का डर है, क्या बदनाम हो जायेगा, कौन बदनाम हो जायेगा? यदि कोई छोड़कर जाना ही है तो आज ही क्यों ना चला जाए?


जीवन में निष्ठा नहीं खोनी चाहिए, संदेह भरपूर हो, पर निष्ठा बिल्कुल नहीं खोनी चाहिए। हो सकता है आपके लिए जो ग्यारहवां गुरु है वही उस तरीके से बना हो, जो आपको रास्ता दिखा पाए, और साथ ही जो पहले के दस गुरु थे उनका भी अपना एक महत्व था जीवन में, जिन्होंने आपको तैयार किया वहां तक पहुंचाने के लिए।

______________

Ashu Shinghal

0 views0 comments

コメント


bottom of page