जो है
- Dharmraj
- Mar 20, 2024
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आज सुबह महर्षि के आश्रम से बाहर निकल स्कूटर लेकर नियमित दिनचर्या की तरह मैं नारियल पानी पीने गया।
वहाँ वह नारियल काटकर देने वाली महिला अपनी साड़ी के ऊपर अपने बेटे का शर्ट पहनती है। जो नारियल काटते हुए चीकट हो चुका है। उसका चेहरा हल्दी लगाने की वजह से पीला है। अपने चेहरे पर तमिल महिलाएँ धूप से बचने के लिए हल्दी लगाती हैं। बड़े सधे हाथों से वह एक हाथ से नारियल पकड़ती है, दूसरे हाथ से कोइंता (लोहे का औज़ार) चला कर नारियल काट देती है। ऐसा करते हुए उसके हाथ की चूड़ियों से आवाज़ आती है, जो अक्सर सड़क के यातायात में दब जाती है।
“मैं आपको जानता हूँ” हिन्दी में यह आवाज़ सुनते हुए जब मैं पलटा तो वहाँ एक 24..25 साल का साँवला सामान्य कद काठी का युवक नंगे पाँव, बिखरे बाल, हल्की दाढ़ी-मूँछ, बादामी रंग का टी शर्ट और सफ़ेद लुँगी पहने खड़ा था। मैंने बिना कुछ बोले अभी-अभी हाथ में आया नारियल उसकी तरफ़ बढ़ाया, तो उसने विनम्रता से मना कर दिया। हम दोनों मुस्कुरा कर एक दूसरे की ओर देख रहे थे।
उसने आगे बोलना शुरू किया कि, उसने यू ट्यूब चैनल पर मेरी लगभग सारी वीडियो देखी है। पिछले साल वह किसी सम्बंध के उतार-चढ़ाव में गंभीर अवसाद में था, जब उसे यू ट्यूब पर कुछ देखते हुए इन वीडियों का सुझाव आया।
उसने कहा कि, किसी वीडियो से उसके भीतर एक संदेश गहरे उतर गया कि, “जो है” उसे बदलना, उस से भागना या उस से कुछ भी छेड़छाड़ करना “जो है” को पोषण देना है। यह वक्तव्य न जाने कैसे सुना गया था कि, उसके पश्चात मेरी सारी ऊर्जा ने पलायन और अवसाद की स्थिति से भागना बंद कर दिया।
उसने कहा कि यह चमत्कार है। मुझे नहीं पता है कि क्या हुआ कैसे हुआ आज बस रोएँ रोएँ से कृतज्ञता है। यह कहते हुए उसकी आँखें भर आई।
उसने कहा कि मैं आप से कभी मिलना नहीं चाहता था। न कभी अब मिलना चाहता हूँ। यद्यपि यह जानता था कि आप अब यहाँ रह रहे हैं। बस बरबस यहाँ आ गया हूँ और अनायास आपसे मिल रहा हूँ।
यह सब कहते हुए उसके दोनों हाथ स्कूटर का हैंडल पकड़े मेरे एक हाथ को मज़बूती से जकड़े थे। मेरी भी आँखें भर आई थी। थोड़ी देर हम चुपचाप रहे, फिर एक दूसरे को देख मुस्कुराए उसके बाद वह धीमे-धीमे कदमों से आगे बढ़ गया।
इस मुलाक़ात में मेरी तरफ़ से एक शब्द भी इस्तेमाल न हुआ था। चित्त में एक ख़ुशी की लहर ज़रूर उठी कि, यह भगीरथ प्रयत्न अकारथ नहीं जा रहा है।
“जो है” उसके प्रति बिना किसी हस्तक्षेप के ‘उपस्थिति’ पूरी मनुष्य चेतना की श्रेष्ठतम दशा है। एक मात्र यह कीमिया प्रेम का सीधा द्वार है।
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