जिस दिन इंसान पकेगा
पूजा प्रार्थनाएँ ईश्वर अल्लाह के खूँटों से तोड़ ली जाएँगी
तब गीत तो खूब उठेंगे नृत्य भी फैलेगा
महारास होगा
पर न माँग होगी न किसी का दर द्वार होगा
जब इंसान पकेगा
शिष्य होंगे खूब होंगे
वे तो पल पल सीखते हुए सीखने को आतुर होंगे
पर गुरु कोई न होगा
सम्बंध होंगे और अतल गहराई लिए होंगे
पर उनका कोई नाम न होगा
जिस दिन इंसान पकेगा
प्रेम तो होगा भरपूर होगा
पर प्रेमी प्रेमपात्र के ध्रुवों में नहीं घुटेगा
निर्बाध हर कोई प्रेम से आपूर छलकता फिरेगा
जिस दिन इंसान पकेगा
धार्मिकता तो होगी
स्वाँस स्वाँस में होगी हर चितवन में होगी
पर कोई धर्म न होगा
शीश झुकेंगे पर किसी के चरणों में नहीं
झुकने की मौज में झुकेंगे
भिन्न भिन्न भूस्थान होंगे संस्कृतियाँ होंगी भाषाएँ होंगी
जीवन का अनगिनत रूप और ढंग पूरी ज़मीन पर फैला होगा
पर कोई राष्ट्र न होगा
दुनिया में घर तो खूब होंगे परिवार एक होगा
सृजन हर क्षण उमड़ेगा सृजनहार कोई न होगा
जिस दिन इंसान पकेगा
पकान तो खूब होगी दावेदार कोई न होगा
धर्मराज
06/06/2020
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