DharmrajAug 22, 20231 min readप्रेयसी का गाँव प्रेयसी कैसा अलबेला तुम्हारा यह गाँव है यहाँ दाई गला घोंटती है डोम जन्म दिलाता है यहाँ औंधे वर्तमान में भविष्य अतीत की ओर लौट रहा है जिसके पाँव के नीचे ठाँव है वह मुरझाया जाता है जो उखड़ गया वह फलता फूलता जाता है धर्मराज 06/07/2023
प्रेयसी कैसा अलबेला तुम्हारा यह गाँव है यहाँ दाई गला घोंटती है डोम जन्म दिलाता है यहाँ औंधे वर्तमान में भविष्य अतीत की ओर लौट रहा है जिसके पाँव के नीचे ठाँव है वह मुरझाया जाता है जो उखड़ गया वह फलता फूलता जाता है धर्मराज 06/07/2023
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