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Writer's pictureDharmraj

प्रेयसी का गाँव




प्रेयसी

कैसा अलबेला तुम्हारा यह गाँव है

यहाँ दाई गला घोंटती है

डोम जन्म दिलाता है

यहाँ औंधे वर्तमान में

भविष्य अतीत की ओर लौट रहा है

जिसके पाँव के नीचे ठाँव है

वह मुरझाया जाता है

जो उखड़ गया

वह फलता फूलता जाता है

धर्मराज

06/07/2023

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