ज्यूँ ज्यूँ
कृतज्ञता ने मुझे पोंछा
चेरी की डालियाँ फूलों से लदी दिखी
ज्यूँ ज्यूँ कृतज्ञता ने मुझे पोंछा
चेरी के खिले वृक्ष की फुनगी पर
बुलबुल का जोड़ा गाता सुनाई दिया
ज्यूँ ज्यूँ कृतज्ञता ने मुझे पोंछा
चेरी के फूलों से छनकर उतरती भोर की धूप से
खुरदुरे गालों का सिंकना बुझाई दिया
ज्यूँ ज्यूँ कृतज्ञता ने मुझे पोंछा
चेरी के फूलों की भीनी-भीनी गँधशून्य
गँध का
नथुनों में नर्तन रचाई दिया
बिबूचन है
कृतज्ञता से महोत्सव घटता है
या मुझको पोंछती कृतज्ञता
महोत्सव पर पड़ी धुँध
छाँट देती है
कुछ भी हो
मेरा मिटना चेरी खिलना महोत्सव है
धर्मराज
09 March 2023
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