मेरे भीतर चल रहे विचार
- Dharmraj
- May 13, 2023
- 2 min read

32/13/अभी अभी
1)अख़बार की प्रमुख लाइन
बिहार के बेतिया ज़िले के मजूरटोला गाँव के राम किशुन आज सुबह नीम के पेड़ के नीचे अपनी खटिया पर जब आँख खोले तो सामने उन्हें खेत में दूर तक पीले पीले सरसों के फूल दिखाई दिए।
बिना रोज़मर्रा की तरह काम के लिए हड़बड़ाए वे काफ़ी देर तक फूलों को देखते और बुलबुल को सुनते हुए ख़ुशबू सूँघते रहे! फिर अनजाने ही मुस्कुराकर खटिया छोड़े
अख़बार के अंतिम पृष्ठ पर छोटे-छोटे शब्दों में अंतिम समाचार…
आज आम चुनावों के बाद केंद्र में सत्ता परिवर्तन हुआ। अब तक की सत्ताधारी पार्टी को जनता ने नकार दिया। चुनकर आइ नई पार्टी के नेता चुनौटी लाल ने राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शपथ ली। इस अवसर पर राह चलते कुछ रिक्शाचालक, खोमचे वाले और कुछेक दिहाड़ी मज़दूरों की गणमान्य उपस्थिति रही।
2 ) प्रमुख न्यूज़ चैनल का यू ट्यूब पर लाइव सँवाद कार्यक्रम…..
देश के प्रतिष्ठित स्कूल बरईपार प्राथमिक पाठशाला जौनपुर में कक्षा पाँच के विद्वान छात्र कलहू जो गणित में जोड़ घटाना के कोई सवाल हल नहीं कर पाते, अंग्रेज़ी का ABC भी नहीं सीख पाए हैं वे बाँस की कोठ में छिपी बैठी गाती चिड़िया को खोजने और रात झींगुर जुगनू के सम्मिलित गीतों को सुनने की कला सीखने के गूढ़ विषय पर प्रकाश डालेंगे!
उनके साथ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अनुभवी कुलपति प्रतीक गांधी, अमेरिका की भौतिकी प्रयोगशाला में काम करने वाले वयोवृद्ध कर्मी ऐल्बर्ट आइंसटीन और देश में सूचना एकत्र करने पहुँचाने का काम देख रही संस्था मीडिया के कर्मी श्रीमान राय भी कलहू जी से सँवाद के लिए उपस्थित होंगे। इन लोगों को कलहू जी के साथ मंच साझा कराने के पीछे हमारा उद्देश्य है कि हम लोग थोड़ा शिक्षा से जुड़ी, राजनीति से जुड़ी, विज्ञान से जुड़ी और मीडिया से जुड़े कामगारों के बारे में भी जाने पहचानें!
10 करोड़ व्यूज 70 लाख कमेंट और दो लाख शेयर
बालीवुड की सुपरस्टार अभिनेत्री हुई उप्स मोमेंट का शिकार।
उनके रैम्प पर चलते समय चूनेश मल्होत्रा के डिज़ाइन किए ड्रेस का ऊपर का हिस्सा खुलकर रैम्प पर नीचे गिर गया।
3 व्यूज 0 कमेंट 0 शेयर
भोर की सैर के समय पार्क की चर्चा…..
एक आदमी कल शहर में ऐसा देखा गया है, जो बस अपने बेटे-बेटी की ख़ुशी के बारे में ही सोचता है। उसका अपना परिवार है ऐसा कहता है।
अपना बेटी बेटा मतलब? अपना परिवार मतलब ?
अरे! जो उसके और शारीरिक संयोग से हुआ! जो हम कुछ लोग सुविधा के लिए एक साथ रहते हैं उसे वह अपना अलग थलग होना कुछ निजी जैसा समझता है।
वह कहता है प्रेम का मतलब अपना निजी होना! सब से तोड़ लेना!
ये निजी क्या होता है ?
पता नहीं!
अच्छा! बेचारे को मानसिक अस्पताल में भर्ती कराया गया कि नहीं?
हाँ कल ही करा दिया गया।
कल मैंने भी एक मज़े की बात सुनी!
क्या ?
एक आदमी जागरण के लिए किताब पढ़ता था। कहता था कि जागरण के लिए मुझे बहुत ज्ञान जुटाना होगा। और कहता था सहज निःप्रयास जागरण होता ही नहीं। ‘मैं’ यह जो हम औपचारिकता में बोलते हैं न! इसे कहता था कि यह अंतिम सत्य है। उसने बुद्धि के निष्कर्ष को और उसकी सतर्कता को सहज जागरण कहा!
हा हा हा हा हा……
हा हा हा हा हा……
धर्मराज
Comments