top of page
Image by NordWood Themes
Image by NordWood Themes

मैं की आँच



प्रार्थनाएँ पहुँचें

प्रणाम पहुँचे

पहुँच सकें तो इस हृदय वाद्य की मधुर स्वर लहरियाँ पहुँचें

पर न इस मैं की आँच किसी तक पहुँचे

न किसी मैं की छाया इस तक आए


जिन्हें भेजना ही हो वे अनजाने की प्यास भेजें

जाने माने से अकुलाहट भेजें

हो सके तो कुछ न भेजें

बस न इस मैं को आमंत्रण दें

न वे आएँ


यहाँ एक हृदय है जो प्यास को सागर तट पर छोड़ आता है

जहाँ से बदलियाँ उमड़ उमड़ बरसने आती हैं

फिर वे बरसने आएँ आएँ

ना आएँ तो ना आएँ

यह हृदय अकुलाहट उस बीहड़ वन छोड़ आता है

जहाँ से प्राण पवन आती है

फिर पवन आए तो आए

ना आए तो ना आए

पर ना किसी मैं पर इस मैं की परछाई पहुँचे

न किसी मैं की आँच इस पर छा पाए


धर्मराज

19/10/2020


 
 
 

Comments


bottom of page