मैं की आँच
- Dharmraj
- Aug 4, 2021
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प्रार्थनाएँ पहुँचें
प्रणाम पहुँचे
पहुँच सकें तो इस हृदय वाद्य की मधुर स्वर लहरियाँ पहुँचें
पर न इस मैं की आँच किसी तक पहुँचे
न किसी मैं की छाया इस तक आए
जिन्हें भेजना ही हो वे अनजाने की प्यास भेजें
जाने माने से अकुलाहट भेजें
हो सके तो कुछ न भेजें
बस न इस मैं को आमंत्रण दें
न वे आएँ
यहाँ एक हृदय है जो प्यास को सागर तट पर छोड़ आता है
जहाँ से बदलियाँ उमड़ उमड़ बरसने आती हैं
फिर वे बरसने आएँ आएँ
ना आएँ तो ना आएँ
यह हृदय अकुलाहट उस बीहड़ वन छोड़ आता है
जहाँ से प्राण पवन आती है
फिर पवन आए तो आए
ना आए तो ना आए
पर ना किसी मैं पर इस मैं की परछाई पहुँचे
न किसी मैं की आँच इस पर छा पाए
धर्मराज
19/10/2020
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