अगर मैं
तुमसे कुछ नहीं कहता हूँ
तो यह मत समझना कि मैं
यूँ ही चुप हूँ
मैं चुप हूँ क्यूँकि
अभी धरती अपनी हरियाली से बोल रही है
मैं चुप हूँ क्यूँकि चंद्रमा की नदी की लहरों से हो रही बातचीत
अभी ख़त्म नहीं हुई है
मैं चुप हूँ क्यूँकि बहुत से ऐसे पंछी हैं
जिनके गीत अभी शुरू होने हैं
और हाँ
मैं चुप हूँ क्यूँकि मैं अपनी चुप्पी को सुन रहा हूँ
यहाँ जो भी कुछ विराट से विराट सूक्ष्म से सूक्ष्म है
चुपचाप घट रहा है
जिस पर सब बातचीत लहर जैसी सांयोगिक है
चुप्पी ही सागर सी शाश्वत है
सुन सको तो सुनो मुझे
मैं चुप हूँ क्यूँकि लहर नहीं
मैं सागर कह रहा हूँ
धर्मराज
10/08/2020
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