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Writer's pictureDharmraj

रहस्य उत्तर



जब तुमने पूछा

बरखा बूँद कहाँ से आई

मैं भीगी बस भीगी

मुझे उत्तर बादल न आया

प्रिय कहो न

क्या भिगना उत्तर तुम तक घिर पाया

जब तुमने पूछा

भोरगीत यह कहाँ से आया

मैं गूँजी बस गूँजी

मुझे उत्तर बुलबुल न आया

प्रिय कहो न

क्या गुँजना उत्तर तुम में तिर पाया

जब तुमने पूछा

यह प्रेम भला तुम में क्यूँकर आया

मैं मिटी बस मिटी

मुझे उत्तर मेरा होना न आया

प्रिय कहो न

क्या मिटने का गुर तुममें उतर पाया

जब तुमने पूछा

जीवन में अशेष बसंत कहाँ से आया

मैं बस झूमी नाची गाई

मेरा हृदय हो चुके तुम

मुझको यह उत्तर न आया

प्रिय कहो न

क्या तुमसे रिसता नृत्य गीत यह

वापस तुम पर बरस पाया

जब तुमने पूछा

जीवन क्या है

कहाँ से आया कहाँ जा रहा यह

मैं रही निरुत्तर बस निर्दोष निरुत्तर

न मैं बची वहाँ पर

न मुझको कोई उत्तर ही आया

प्रिय कहना ज़रा

क्या मुझ निरुत्तर बेदी पर

तुम्हारा प्रश्न यज्ञ पूरा हो पाया

धर्मराज

30 June 2022


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