जिस दिन कोई हारा इंसान मुझे सुनना चाहेगा
मैं उससे कहूँगा ज़िंदगी ग़र हराती है
हर जीत हार में बदल जाती है
तो सुनहरा मौक़ा है
बखूबी हार जाओ
ज़रा मुश्किल है यह करना
जुर्रत चाहिए
पर कर सको तो ज़रूर आजमाना
सीढ़ी चढ़ो और अंतिम पायदान पर पाँव धरने से पहले
नीचे उतर आओ
जीतने जीतने को हो बाज़ी कि
जान बूझकर हार जाओ
कर पाए तो
एक समय ऐसा आएगा कि
तुम ज़िंदगी की निगाह में आ जाओगे
एक समय ऐसा आएगा कि ज़िंदगी
तुम्हारी हार को गोद में ले लेगी
वह पूरी तरह हारे हुए को गोद में ले ही लेती है
बस इतना ध्यान रखना कि
“पूरा हारना”
फिर वह तुम्हें गिरने ही न देगी
वह वहाँ अपनी गोद से
किसी को गिरने ही नहीं देती है
तुम भूख से राज़ी हो जाओगे
वह छप्पन भोग परोसेगी
तुम अकेले में राज़ी हो जाओगे
न जाने कितने सम्बंध तुम्हारी तरफ़ दौड़ पड़ेंगे
तुम दुःख से राज़ी हो जाओगे
अपार सुख उतरने लगेगा
तुम मृत्यु से राज़ी हो जाओगे
चारों तरफ़ से रंध्र रंध्र से जीवन बरस पड़ेगा
ज़िंदगी तुम्हारे पीछे तुम्हें जिताने को हर ओर से भागेगी
ज़िंदगी जो भी परोसे उसे ख़ूब भोगना पर
जीत में कभी राज़ी न होना
ख्वाहिश ही जीत की न करना
तुम मज़े से हार में जीने को राज़ी रहना
जिसने हार का राज बूझा
उसने जीवन का राज बूझ ही लिया
धर्मराज
23/07/23
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