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Writer's pictureDharmraj

मिलन

वह मुझसे तब मिलने आवें

जब मैं उनमें ही होऊँ

मुझमें मुझको ढूँढें

पर ना पावें

या जब उनको हो अभिलाषा

मुझको पाने की

मैं उनमें ऐसा मिट जाऊँ

मेरे भ्रम मुझको पा

वे खुद को ही पा जावें

हों आपूर नयन उनके जो

इस आत्म मिलन से

छलकें वे मुझ तक आने को

गिर उनके ही चरणों में ज़ावें

दुइ की दूरी बहुत हुई

आपा आप में अब ऐसा घुल जावे

दुई एक दोनों गल जावें

वह मुझसे तब मिलने आवें

जब मैं उनमें होऊँ

वह मुझमें मुझको न पावें

धर्मराज

05/05/2020



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