बिना कुछ भी बदले, बिना कुछ भी नाम दिए, बिना हस्तक्षेप के खुद को देखना, उसको जीना क्या है?
किसी उत्तर की आकांक्षा मत करिए, यही असंभव प्रश्न गुरु है, यही मुक्ति का द्वार खोलता चला जाता है।
एक बहुत विद्वान व्यक्ति एक साधु के पास गया और उनको कहता है कि मैं किताबें बता सकता हूं, जिनसे आत्मज्ञान सहज ही मिल जायेगा, आप यहां अपना समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं। साधु ने कहा कि आपको भोजन कैसा लगा? उस व्यक्ति ने कहा कि आप कैसी बात कर रहे हैं, अभी भोजन किया ही कहां है?
साधु ने कहा कि जो भी आपको पसंद था वह तो मैंने बना कर खा लिया, और मेरे खाने से आपको तृप्ति हो जानी चाहिए ना। यही बात हमारे साथ है, हम नहीं समझते हैं कि किसी अन्य के ज्ञान से मुझे तृप्ति कैसे हो सकती है?
मैं यानी मैनिपुलेशन या छेड़छाड़, हम जो नहीं जानते हैं उसको भी जानने का दावा मैं है। क्या आप जानते हैं कि दुख, सुख, संबंध या प्रेम क्या है? हम इन सब के बारे में बिल्कुल भी कुछ नहीं जानते हैं, पर छेड़छाड़ पूरी करते हैं। इनसे छेड़छाड़ करने से जीवन और भी विकृत होता चला जाता है। जीवन को हमने ओछी इच्छाओं में बांध करके, बहुत छोटा कर दिया है।
कुछ एकत्रित करी हुई सूचनाओं के आधार पर हम दूसरों को मैनिपुलेट करना चाहते हैं। हम कहते हैं कि जो आप बता रहे हैं वो समझ तो आ गया है, पर इससे जीवन में कुछ होता तो नहीं है। यानी सारी की सारी बात केवल बौद्धिक स्तर पर समझी गई है, जीवन में उतरी नहीं है।
सोच विचार और जीवन का घटना दो समानांतर बातें चल रही हैं। एक आभासीय चीज यथार्थ को मैनिपुलेट करने का प्रयास कर रही है। आप सोचते हैं कि हम जी रहे हैं, यह एक बड़ा धोखा है। कुछ भी जानने या समझने से जीवन को आप कैसे सुधार सकते हैं?
मैं प्रेम करता हूं, मैं संबंधित हूं, यह एक भेड़चाल चल रही है। यदि आप समझते हैं कि मैं प्रेम करता हूं, तो शीघ्र ही जो इससे विपरीत है, वो पैदा हो जायेगा। हम समझते हैं कि जो मैं हूं और जो मैं सोच रहा हूं, बस वही जीवन है। जो सोच रहा है, वो भक्ति नहीं कर रहा है, जो है बस उसकी क्लोनिंग हुई है। जो जान रहा है कि वह जान गया है, वह वास्तव में कुछ जान ही नहीं पाया है।
जो है जैसा है उसको यथावत जीने देना, तो आपने क्लोनिंग को भंग कर दिया, क्योंकि क्लोनिंग कुछ करने से बनती है। अब जब आप क्लोनिंग के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे, तो वो गिर जायेगी। जबकि क्लोनिंग को हटाने का कोई भी प्रयास, उसको और मजबूत कर देता है। आपने जीवन के साथ कुछ भी छेड़छाड़ करी तो आप जीवन को विकृत कर दोगे।
यह एक सुंदर भोर है, यह विवरण ही क्लोनिंग है। यह क्लोनिंग है, यह जानना मात्र ही बुद्धत्व है, तब असल जीवन की खिलावट सहज रूप से होती है।
जो छेड़छाड़ करता है वो सूचना का एक पुतला है। छेड़छाड़ करने वाला ओछा है, जबकि जीवन विराट है। क्या जीवन के लिए कुछ सुविधा इकठ्ठा करने के अतिरिक्त, कुछ और भी किया जा सकता है?
यही महा सूत्र है कि ये जानें कि आप जो हैं जैसे हैं, उसके साथ बिना छेड़छाड़ के जीना क्या है? इसका उत्तर जीवन में उतरे, ना की सोच विचार में।
Ashu Shinghal
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