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प्रेम जागरण
प्रेम की अंगड़ाई लेते प्रेम ने अपनी एक भुजा प्रेम के अनंत आकाश में भेजी दूजी प्रेम के अतल पाताल में आकाश में उठती भुजा से पाताल में उतरती...

Dharmraj
May 9, 20231 min read


सर्वं ख़ल्विदम प्रेम
आकंठ प्रेम में डूबी प्रेयसी से जब प्रेमी ने उसे उसकी पीठ से आलिंगन किया प्रेयसी की लगभग झुक चुकी रीढ़ में गहरा बल मिला विभोर हो उसने...

Dharmraj
May 8, 20232 min read


मुहब्बत पर
कुछ भी नहीं महरुम यहाँ मुहब्बत से गर निगाह हो मनचली मेहबूबा के दावे मुहब्बत पर ठिठके आशिक की वफा मुहब्बत पर आशिकी के आगाज मुहब्बत पर उसके...

Dharmraj
May 7, 20232 min read


रुको बोधिसत्व
रुको बोधिसत्व क्या चले ही चले जाओगे तुम्हारी नाव ने तो पाल खोल ही लिए हैं लंगर उखाड़ ही लिए हैं एक पाँव नाव में जा ही चुका है दूजा धरने...

Dharmraj
May 5, 20232 min read


प्रेमरंजित हाथ
मित्र के पीछे से शत्रु की गर्दन उतारते ही प्रेम का फ़व्वारा फूट पड़ा अरे! यहाँ तो रक्त फूटना था यह तो प्रेम फूट रहा है तो क्या शत्रु...

Dharmraj
May 3, 20231 min read
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