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सुप्त परिहास
अरण्य से लौटते उन चरणों की मंथर गंतव्य शून्य चाल देख विस्मित नेत्रों ने उनके मुख की ओर निहारा वहाँ सुशोभित दो अर्धोन्मीलित नयन न कुछ...

Dharmraj
May 2, 20231 min read


प्रेम तापस
चेतना! प्रेम तापस प्रेम के मंदिर में एक द्वारपाल है जिसे हमारी कसौटी के लिए प्रेम ने ही नियुक्त किया है जिसे अक्सर हमने आराध्य प्रेम समझ...

Dharmraj
Apr 30, 20232 min read


कविताएँ जिन्होंने कवि का भाग्य लिखा
ऋचाएँ जो ऋषियों के हृदय से उमगीं वे अनंत महासूर्यों में मूर्त हो हो दैदीप्यमान होती गई वे पूर्ण हैं सदा सिद्ध हैं कविताएँ जिन्होंने कवि...

Dharmraj
Apr 29, 20231 min read


मुझे मेरा स्वीकार
स्वीकार! ओ सर्व स्वीकार की अपूर्व घटना क्या मुझे साधुवाद न दोगी क्या मुझे अपने प्रणाम से अकलुषित कृतज्ञता से विसर्जित न करोगी क्या...

Dharmraj
Apr 27, 20231 min read


उत्तर हारी शिक्षाएँ (जे० कृष्णमूर्ति)
अगर पूछा जाय आपको उनकी शिक्षा से क्या मिला आप हृदय में अनजाने अतिरेक से उमड़ें रीझें झूम झूम जाएँ पर लाख चाह कर कुछ न कह पाएँ कोई उत्तर...

Dharmraj
Apr 26, 20232 min read
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