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ध्यानशाला - अपने आड़े आप, सुबह का सत्र, 19 दिसंबर 2024
किसी का भी अनुकरण करना या करवाना, दोयम दर्जे का जीवन होता है। ज्यादा से ज्यादा हम साथ में चलते हुए सीखने की कीमिया को जीवन में अवसर दे...
Ashwin
Oct 32 min read


क्या कोई ऐसा जीना है जो सकल भ्रमों से मुक्त है? (ध्यानशाला - अपने आड़े आप, सुबह का सत्र, 20 दिसंबर 2024)
क्या कोई ऐसा जीना है जो सकल भ्रमों से मुक्त है? अपने ही पैरों में हम जंजीरें हैं, रिश्तों में हमारे प्रयास ही हमारे आड़े आप हैं। जीवन को...
Dharmraj
Sep 162 min read


कछू नहीं पहचनियाँ - कबीर उलटबासी
संतन जात न पूछो निरगुनियाँ साध बाभन साध छत्तरी साधै जाती बनियाँ साधन माँ छत्तीस कौम है टेढ़ी तोर पुछनियाँ साधै नाऊ साधै धोबी साध जाति...
Dharmraj
Sep 156 min read


वे मुझे धन्यवाद देते हैं
वे मुझे धन्यवाद देते हैं मैं उनसे माफ़ी माँगता हूँ वे कहते हैं आप से हमने अपूर्व सुना मैं ख़ुद से कहता हूँ कि अरे जो कहना था वह तो...
Dharmraj
Sep 51 min read
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