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प्रेम के उजियारे में
प्रेम के उजियारे में न अंधेरे बुझाए गए न प्रकाश जलाए गए अंधेरे अंधेरे से दिखे प्रकाश प्रकाश से प्रेम के उजियारे में न हितैषी करीब बुलाए...

Dharmraj
Nov 26, 20241 min read


वह जीना क्या है जो विकल्प के सभी चेहरों से मुक्त है?
वह जीना क्या है जो विकल्प के सभी चेहरों से मुक्त है? ध्यानशाला सुबह का सत्र, 23 नवंबर 2024 हम कुछ मित्रों ने साथ साथ सैर करते हुए कुछ...
Ashwin
Nov 26, 20244 min read


बुद्धि एक बैसाखी पर वह जीवन नहीं है (ध्यानशाला सुबह का सत्र, 24 नवंबर 2024)
ध्यानशाला सुबह का सत्र, 24 नवंबर 2024 भीतर एक ऐसी उपस्थिति है, जिसमें कोई व्यक्ति उपस्थित नहीं है। जो है उसका बस निरूपण चल रहा है। जब हम...
Ashwin
Nov 25, 20244 min read


प्रश्नोत्तर धर्मराज जी के साथ - 7 जुलाई 2024
मनुष्य चेतना अखंड है। प्रश्न - कभी-कभी बिना किसी कारण के मायूसी क्यों छा जाती है? पूरी मनुष्य चेतना अखंड है, हममें और आपमें जो हिंसा,...
Ashwin
Nov 12, 202410 min read


अपने ही दाब से
ग़र बाशिंदे होते यहाँ हमारी क़ब्रें नहीं आशियाने होते मुसाफ़िर होते तो सब सरायें घर होती या सब घर सराय होते कहीं हम बबूले तो नहीं जो...

Dharmraj
Nov 10, 20241 min read


फिर निरभ्र आकाश
पहले सुषमा उतरी फिर सुवास फिर फूल खिला फिर कली फिर अंकुर फिर बीज फिर कीचड़ पानी सूरज हवा और फिर निरभ्र आकाश जिसमें पहले सुषमा उतरी फिर...

Dharmraj
Nov 9, 20241 min read


उलट सियार सिंह को खाय - कबीर उलटबासी (धर्मराज)
उलट सियार सिंह को खाय जब लगि सिंह रहै बन मांहि तब लगि वह बन फूलै नाहि उलट स्यार सिह को खाय तब वह बन फूलै हरियाय ज्ञान के कारन फूलै बनराय...
Ashwin
Nov 5, 20248 min read
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