प्रेम के उजियारे में
न अंधेरे बुझाए गए
न प्रकाश जलाए गए
अंधेरे अंधेरे से दिखे
प्रकाश प्रकाश से
प्रेम के उजियारे में
न हितैषी
करीब बुलाए गए
न वैरी दूर धकेले गए
प्रेम के उजियारे में
न भोरों ने
साँझ की प्रतीक्षा की
न साँझों ने भोर की
प्रेम के उजियारे में
सब दो मुँह
बिन आपस में बदले
सीधे प्रेम उजियारा होते चले गए
धर्मराज
26 नवंबर 2024
(तिरुवन्नामलाई)
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