फिर निरभ्र आकाश
- Dharmraj
- Nov 9, 2024
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पहले सुषमा उतरी
फिर सुवास
फिर फूल खिला
फिर कली
फिर अंकुर
फिर बीज
फिर कीचड़ पानी सूरज हवा
और फिर निरभ्र आकाश
जिसमें
पहले सुषमा उतरी
फिर सुवास
फिर फूल खिला
फिर कली
फिर अंकुर
फिर बीज
फिर कीचड़ पानी सूरज हवा
और फिर निरभ्र आकाश
धर्मराज
09/10/2024
(तिरूवन्नामलाई)
“आरण्यक अरुणाचला” के पुष्पित पल्लवित होते देख उतरी कविता!
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