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हार का राज
जिस दिन कोई हारा इंसान मुझे सुनना चाहेगा मैं उससे कहूँगा ज़िंदगी ग़र हराती है हर जीत हार में बदल जाती है तो सुनहरा मौक़ा है बखूबी हार जाओ...

Dharmraj
Aug 26, 20231 min read


हर हाल में मुहब्बत ही रहा
जाने कितने सुबूत नफ़रत ने ख़ुद के होने के दिए बग़ैर सबूत गवाह ऐतबार मुहब्बत पर था मुहब्बत पर ही रहा होकर मेहबूब जाने कितने ज़ख़्म पीठ पर...

Dharmraj
Aug 24, 20231 min read


प्रेयसी का गाँव
प्रेयसी कैसा अलबेला तुम्हारा यह गाँव है यहाँ दाई गला घोंटती है डोम जन्म दिलाता है यहाँ औंधे वर्तमान में भविष्य अतीत की ओर लौट रहा है...

Dharmraj
Aug 22, 20231 min read


मसर्रत औ मलाल
छूटे थे जो बिछड़े मुश्तएक मिल रहे हैं मिलकर भी जो घुल न सके वे बारी बारी बिछुड़ रहे हैं ज़िंदगी धोखा है या ये धोखा भी इक ख़्वाब जो भी हो...

Dharmraj
Aug 20, 20231 min read


बीड़ी व आत्मअवलोकन
बचपन में गाँव में आई नौटंकी में अबला नारी को क्रूर, कुकर्मी, दुष्ट के द्वारा नगाड़े की आवाज़ पर बुरी तरह से सताया जाता देख ग़ुस्से में आग...

Dharmraj
Aug 18, 20231 min read


करार की किरचें
किस टूटे करार की किरचें आँखों में चुभी हैं जोगन कि तेरा सम्मुख बैठा प्रेमी आँखों से ओझल हुआ जाता है किस टूटे करार की किरचें कानों में...

Dharmraj
Jun 2, 20231 min read
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