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काँस के फूल
काँस के खिले फूलों के पीछे से उगते हुए हुए सूरज को देख मैं ने पूछा ‘वह’ कहाँ है वह कहीं न मिला फिर काँस के फूलों ने मुझसे पूछा ‘उसके’ लिए...

Dharmraj
May 30, 20231 min read


उम्मीद बहुत है
चलने को पाँव नहीं हैं कंधे दोनों थूनी पर हैं क्षितिज का पाल्हा छू पाऊँगा इसकी मुझको उम्मीद बहुत है आँखें मेरी मुझपे ही मुँदी ढँपी हैं...

Dharmraj
May 29, 20231 min read


मेरा ‘होना’ ‘न होना’
मेरे ‘न होने’ से पहाड़ जमे नदियाँ बही तितलियाँ उड़ीं अँकुर फूटे सूरज उगा चँद्र ढला तारे टिमे सागर लहराया चंदन महका मेरे ‘होने’ से क्या...

Dharmraj
May 28, 20231 min read


‘क’ से ‘कबूतर’
बच्चा ‘वह’ देखता हुआ जिसे ‘कबूतर’ कहते हैं शिक्षक के पास पहुँचा शिक्षक ने कहा बेटा ‘क’ से ‘कबूतर’ होता है बच्चे की नासमझी ने समझा ‘कबूतर’...

Dharmraj
May 27, 20231 min read


अनायास भेंट
जलधारा की मेड़ से गुजरते हुए वहीं किनारे अनायास खिले पुष्प से नथुनों को अनायास ही अपूर्व गंध भेंट हुई प्रश्न उठा अरे पुष्प तुम किसकी और...

Dharmraj
May 24, 20231 min read
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