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धर्मराज जी संग आरण्यक तिरुवन्नामलाई का अनुभव - अमिता सिंह

मेरी तिरुवान्मल्लाई आने की वजह यहाँ की ऊर्जा हैं

यहाँ रहस्यमयी ऊर्जा का विराट समंदर हैं

जो बहुत शक्ति से खींचता हैं

औऱ एक खिंचाव धर्मराज जी के साधुमय जीवन का

उनके प्रेममय जीवन का..

जिस तरह से वो अनजान लोगों को प्रेम से और अपनत्व के साथ रखते हैं

वो खुबसूरत हैं।


मैं अप्रैल में ही तो आयी थी

औऱ दो महीने के भीतर मैं दुबारा यहाँ खींची चली आयी।


जीवन में मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि अरुणाचला औऱ रमण ऋषि आश्रम में मेरा जाना होगा।


धर्मराज जी से जुड़ने के बाद स्वतः ही मैं वहाँ पहुंच गयी, कभी कभी तो यकीन ही नहीं होता कि पिछले दो महीने के भीतर मैंने दो बार दक्षिण के कैलाश के दर्शन किये।


इस सौभाग्य की वजह धर्मराज जी मात्र हैं धर्मराज जी के प्रति जो संवेदनाये और

कृतज्ञता हैं मेरी वो शब्दों में कभी प्रकट नहीं हो सकती।


यदि मैं सोचने या समझने की कोशिश करूँ तो तो ये उसके परे की बात है कुछ महसूस समझ के परे होते है।


यहाँ रहते हुए मैंने महसूस किया कि जितना हम मुश्किल समझते है किसी अनजान जगह पर अनजान लोगों के साथ रहना

उतना मुश्किल नहीं होता,

कुछ समय बाद घर जैसी सहजता बनने लगती है।


देखा जाय तो पूरी दुनिया ही हमारा घर है यदि हम अपने भय से अपनी कंडीशंनिंग से बाहर आ सके।


जीवन सदा ही है

बस भय तो खुद में है

प्रेम भी सदा ही है असुरक्षा तो हमारी खुद की बनाई है।


मैं धर्मराज जी, शरद जी औऱ विक्रम के साथ रही, सभी ने मूझे बहुत प्रेम औऱ अपने पन से रखा, और तिनका भर भी असहजता ने मूझे नहीं घेरा।


मेरे जीवन में एक नया अनुभव था

औऱ एक समाजिक तरीकों से जीने के तरीके से भिन्न था औऱ खुबसूरत था, होश पूर्ण था औऱ सत्य के करीब था।


आभार 🙏

_________________

अमिता सिंह

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