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माता सीता का पात्र - ध्यानशाला सांझ का सत्र, 16 अप्रैल 2024
प्रश्न - कृपया माता सीता के पात्र पर प्रकाश डालें। माता सीता के पात्र से श्रेष्ठ कोई पात्र नहीं है, विशेष कर स्त्रायन चित्त की भूमिका...
Ashwin
Apr 18, 202410 min read


पटाचारा का सौभाग्य - ध्यानशाला भोर का सत्र, 17 अप्रैल 2024
किसी चीज को देखना यानी उसको बिना नाम दिए बस उपस्थित होना। पटाचारा श्रावस्ती के नगरसेठ की पुत्री थी। किशोरवय होने पर वह अपने घरेलू नौकर के...
Ashwin
Apr 17, 20242 min read


बिना नाम दिए देखना - ध्यानशाला भोर का सत्र, 16 अप्रैल 2024
यदि हम उसे कोई नाम नहीं दें, तो सूर्य का उगना और हमारा होना, एक अटूट घटना है। वो जीना क्या है जो दूसरे कदम से मुक्त है? इसका कोई उत्तर...
Ashwin
Apr 16, 20244 min read


बिना आग्रह का जीवन, पानी की तरह होना - ध्यानशाला भोर का सत्र, 15 अप्रैल 2024
जो भी जीवन सामने प्रकट है, उसमें पानी हो जाइए। प्रश्न - मैं जीवन में बहुत असफल हुई हूं, मेरी मर्जी से हुए असफल विवाह की वजह से माता पिता...
Ashwin
Apr 15, 20248 min read


ना कुछ होकर के जीना - ध्यानशाला भोर का सत्र, 29 मार्च 2024
कुछ नहीं होकर, या ना कुछ होकर के भी जीना क्या है? असंभव प्रश्न से उत्पन्न समाधान की किरणें सारी मनुष्य चेतना में फैलती हैं। एक अभिनेत्री...
Ashwin
Mar 30, 20243 min read


निर्णय और अनिर्णय के संघर्ष में जीवन - ध्यानशाला भोर का सत्र, 28 मार्च 2024
जब आप एक निर्णय लेते हैं तो फिर आपके पीछे कोई होगा जो आपके लिए निर्णय लेगा, उसका परिणाम छूटेगा। जिसका निर्णय नहीं लिया जा सकता है, वही तो...
Ashwin
Mar 30, 20242 min read


मन: दुश्चक्र का आधार, समझ का संग्रहण (ध्यानशाला सांझ सत्र, 26 मार्च 2024)
मन भुलावा और झांसा बहुत देता है, पर करता कुछ नहीं है। यदि आप देखने में सक्षम हो गए तो फिर कोई समस्या ही नहीं है। मन एक दुश्चक्र है, जो हर...
Ashwin
Mar 28, 20244 min read
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