top of page
Image by NordWood Themes
Image by NordWood Themes

हे देह अदेह से न्यारे प्रियतम्

हे देह अदेह से न्यारे प्रियतम्

तुम्हें कैसे ढूँढूँ

देह दृष्टि से

मेरी दृष्टि शुद्ध करो

 

हे मन अमन से

न्यारे सखा

तुम्हें कैसे भेंटूँ

चित्त आधार से

मेरा चित अवसान करो

 

हे भाव अभाव

दोनो से न्यारे

तुम्हें कैसे रिझाऊँ

प्रेम गीत से

मेरा प्रेम विदा करो

 

हे आत्म अनात्म

दोनों से न्यारे

मिलन विरह का

यह खेल अनूठा

अब विराम करो

 

~ धर्मराज

Comments


bottom of page