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ख़ारिज

ख़ारिज

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वो और कितने क़रीब से कहे कि मैं

उसका अनकहा सुन सकूँ

अब और कितना क़रीब वो मेरे घुले कि

उसका अनजिया जी सकूँ

आख़िर और कितना साफ़ वह दिखे कि

मैं उसका अनदेखा देख सकूँ

एक उसकी मुहब्बत है कि

कर ख़ारिज ख़ुद को

वह हमेशा हाज़िर है

एक मेरी

ख़ुद को हाज़िर रखने में

उसे ख़ारिज किए जाता हूँ

धर्मराज

05/03/2024

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