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Writer's pictureDharmraj

मरो ही जोगी मरो!

मरो ही जोगी मरो!

फिर कहता हूँ!

यही सदा कहता रहा हूँ!

बार बार कहता रहूँगा

कुछ और कभी किसी के लिए और कहने को है ही नहीं कि,

“प्रेम एक मात्र समाधान है”

और ‘मैं’ एक मात्र प्रेम की बाधा।

धर्मराज

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