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न (कविता)

Writer's picture: DharmrajDharmraj

इस भोर

अंधेरे से प्रकाश का सँवाद ऐसा है

जैसे कोई प्रेयसी

प्रेमी से ‘न’ कहती है

प्रेमी उस न को अपने हृदय में

अबाध कर देता है

 

प्रेमी प्रेयसी से ‘हाँ’ कहता है

प्रेयसी उस हाँ को

अपने हृदय में अबाध कर देती है

 

जहाँ न और हाँ अबाध गति करते हैं

प्रेम को अवसर है

 

                              धर्मराज

                       25/06/2024

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