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शाप या वरदान

शाप या वरदान

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उसे अभिन्न मित्रों ने

प्रेमियों ने अभिशाप दिया

कि तुझसे एक दिन सब का मोह भंग होगा

उसने इसे भी उनके दिए प्रेम की भाँति

हृदय गुहा के

अंतरतम तल पर ग्रहण किया

फिर मोह भंग हुआ

सबका

जिसमें वह ख़ुद भी सम्मिलित थी

जहाँ वह थी

वहाँ स्मित शेष है

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धर्मराज

22/02/2024

स्मित (मंद मुस्कान)

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