सोये फूल
~ - ~
अरुणाचला!
जानते हो!
हम इंसानों के लिए
प्रेम की खबर होना क्या है
जैसे कँप कँपकर भारी भरकम टायरों के बोझे ढोती
तारकोल की सड़क को
जिसे कँपना ही ज़िंदगी हो उसे
अचानक यह खबर हो जाए कि कँपना ज़िंदगी नहीं है
ज़िंदगी वह माटी है जिसपर वह टिकी है
और ज़िंदगी
उस माटी का गर्भ है
जिसमें अनगिनत फूल सोये हुए हैं
धर्मराज
27/02/2024
Comments