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वह है सिर्फ़ प्रेम

Writer's picture: DharmrajDharmraj

और एक दिन

भंग हो जाता है वह सब

जिसे कहते हैं भ्रम

बच रहता है वह

जिसे कहते हैं प्रेम


भंग हो जाती है शत्रुता

मित्रता भी

बच रहता है वह

जिसे कहते हैं प्रेम


भंग हो जाती है ज़िंदगी

मृत्यु भी

बच रहता है वह

जिसे कहते हैं प्रेम


भंग हो जाता है सब कुछ का होना

न होना भी

सिर्फ़ बच रहता है वह

जिसे कहते हैं प्रेम


उस दिन

उस सबके लिए साधुवाद झरता है

मंगलकामना फूटती है

जिस से यह बूझ आई कि जो सच है

वह है सिर्फ़ प्रेम


सुनो सुनो सुनो!

सब मानुस बूझ सको तो बूझ जाओ कि

जो बच रहता है वह सिर्फ़ वह है

जिसे कहते हैं प्रेम

जो सच है वह है

सिर्फ़ प्रेम


धर्मराज

31/01/2024

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