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बेहिसाब का हिसाब
बहुत कुछ कहा होगा तुमने कभी सुना तो कभी अनसुना किया होगा हमने बहुत कुछ कहा होगा हमने कभी सुना तो कभी अनसुना किया होगा तुमने चलो कह सुनकर...

Dharmraj
Aug 11, 20212 min read


खाँड़ कहे मुख मीठा
(इससे बड़ा दुर्भाग्य भला और क्या होगा कि, हमारे पास अंतहीन तर्क वितर्क हैं। ‘विचार’ या ‘मैं’ को संगत-असंगत, शाश्वत-क्षणभंगुर ठहराने का...

Dharmraj
Aug 10, 20216 min read


प्रेम दीक्षा
प्रेम ने मुझे प्रेम दीक्षा दी है और कहा है मैं उसे उसके कुँआरे हिस्से से प्रेम करना शुरू करूँ और धीरे धीरे उसके सुहागिन हो चुके हिस्से तक...

Dharmraj
Aug 10, 20212 min read


मैं सागर कह रहा हूँ
अगर मैं तुमसे कुछ नहीं कहता हूँ तो यह मत समझना कि मैं यूँ ही चुप हूँ मैं चुप हूँ क्यूँकि अभी धरती अपनी हरियाली से बोल रही है मैं चुप हूँ...

Dharmraj
Aug 8, 20211 min read


प्रेम माटी
अनगिनत चरणों में शीश धरकर भी अधूरे छूटे मेरे प्रणाम आज अपने चरणों के प्रणाम से पूरे हो चले हैं इन नयनों से तो कितना कुछ शुभ अशुभ मैंने...

Dharmraj
Aug 7, 20211 min read


सब हम पर ही निर्भर है
अनंत सम्भावनाओं के उमड़ते महासागर की तरह हर स्वाँस भीतर प्रवेश करती है और जब लौटती है तब यह हम पर ही निर्भर होता है कि पीछे फूल कर पिचकता...

Dharmraj
Aug 6, 20211 min read
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