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आधुनिक मन और निदान
यदि आप जो है उसे देख पा रहे हो, जो कहा जा रहा है उसे सुन पा रहे हो, अपने पैरों पर खड़े हो, सांस ले रहे हो, और जुबान से बोलना घट रहा हो,...
Ashwin
Nov 2, 20248 min read
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कितनी देर और ? | सप्ताहंत संवाद | धर्मराज के साथ
कितनी देर और? बुद्धि पात्र नहीं है, उपस्थिति पात्र है हमारी बुद्धि उस खादिम की तरह है, जो कहती है कि खच्चर का खूब ध्यान रखेगी, पर रखती...

Dharmraj
Oct 29, 20244 min read
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हरि ने अपना आप छिपाया (कबीर उलटबासी - धर्मराज)
प्राण हि तजूँ हरि नहीं बिसारूँ हरि ने अपना आप छिपाया हरि ने नफीज कर दिखराया हरि ने मुझे कठिन विध घेरी हरि ने दुविधा काटी मेरी हरि ने...
Ashwin
Oct 28, 20245 min read
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'कबीर' कब से भये बैरागी (कबीर उलटबासी)
सुनो हो गोरख कबीर' कब से भये बैरागी तुम्हरी सूरति कहाँ को लागी उत्तर: बई चित्रा का मेला नहीं नहीं गुरू नहिं चेला सकल पसारा जिन दिन नाहीं...
Ashwin
Oct 28, 20246 min read
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सारी जिम्मेदारी सम्यक अवलोकन पर है (ध्यानशाला, सुबह का सत्र, 26 अक्टूबर 2024)
तीन मित्र थे उन्हें पहाड़ की चोटी पर एक व्यक्ति खड़ा हुआ दिखा। एक मित्र ने कहा कि वह अपने मवेशी को ढूंढ रहा है, दूसरे मित्र ने कहा कि वह...
Ashwin
Oct 27, 20242 min read
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यदि रास्ते हैं, तो वह जीवन ही नहीं है (ध्यानशाला, सुबह का सत्र, 25 अक्टूबर 2024)
ध्यानशाला, सुबह का सत्र, 25 अक्टूबर 2024 क्या कभी हमने इस तरह से देखा है कि जीवन जीवन ही इसलिए है, क्योंकि उसमें रास्ते नहीं हैं। यदि...
Ashwin
Oct 26, 20245 min read
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द्वार बिनु दीवार (साप्ताहिक संवाद)
द्वार बिनु दीवार। कोई दीवार नहीं है केवल एक दरवाजा है, जिस पर एक ताला लगा हुआ, और हम अपनी नासमझी में उस ताले को खोलने में लगे हुए। जीवन...
Ashwin
Oct 26, 20243 min read
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