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हमन है इश्क मस्ताना (कबीरवाणी)
हमन है इश्क मस्ताना कबीरा इश्क का मारा हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या? रहें आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या? जो...
Ashwin
Nov 4, 202410 min read


जीवनघाती दुहाई
असुरक्षा की दुहाई देकर जब हम अपने आस पास एक परकोटा निर्मित कर लेते हैं, तो जीवन के वे प्रसाद भी बाधित हो जाते हैं; जो सहजता से बिना...

Dharmraj
Nov 4, 20242 min read


कहल हमार गाँठी बाँधन कबीर उलटबाँसी
कहल हमार गाँठी बाँधो। 1) हंसा हो! चित चेतु सवेरा, इन्ह परपंच क़रल बहुतेरा। पाखंड रूप रच्यो इन तिरगुण, यहि पाखंड भूला संसारा। घर को...

Dharmraj
Nov 3, 20247 min read


आधुनिक मन और निदान
यदि आप जो है उसे देख पा रहे हो, जो कहा जा रहा है उसे सुन पा रहे हो, अपने पैरों पर खड़े हो, सांस ले रहे हो, और जुबान से बोलना घट रहा हो,...
Ashwin
Nov 2, 20248 min read


कितनी देर और ? | सप्ताहंत संवाद | धर्मराज के साथ
कितनी देर और? बुद्धि पात्र नहीं है, उपस्थिति पात्र है हमारी बुद्धि उस खादिम की तरह है, जो कहती है कि खच्चर का खूब ध्यान रखेगी, पर रखती...

Dharmraj
Oct 29, 20244 min read


हरि ने अपना आप छिपाया (कबीर उलटबासी - धर्मराज)
प्राण हि तजूँ हरि नहीं बिसारूँ हरि ने अपना आप छिपाया हरि ने नफीज कर दिखराया हरि ने मुझे कठिन विध घेरी हरि ने दुविधा काटी मेरी हरि ने...
Ashwin
Oct 28, 20245 min read


'कबीर' कब से भये बैरागी (कबीर उलटबासी)
सुनो हो गोरख कबीर' कब से भये बैरागी तुम्हरी सूरति कहाँ को लागी उत्तर: बई चित्रा का मेला नहीं नहीं गुरू नहिं चेला सकल पसारा जिन दिन नाहीं...
Ashwin
Oct 28, 20246 min read
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