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स्वयं को देखने की कला - ध्यानशाला 6 सितंबर 2022, सांझ का सत्र
१) जागरण जीवन के साथ साथ समूचे अस्तित्व का स्वभाव है, उसकी अभिव्यक्ति असंभव प्रश्न के माध्यम से जीवन में अवसर पाती है। मैं यदि जीवन का...

Dharmraj
Sep 15, 20245 min read


गुरु ने पठाया बच्चा न्यामत लाना (कबीर उलटवासी का मर्म)
१) गुरु ने पठाया बच्चा न्यामत लाना। पहली न्यामत आटा लाना, गाँव नगर के पास न जाना, हाट बाज़ार छोड़ि के बच्चा, झोरी भर के लाना। दूसरी...

Dharmraj
Sep 15, 20248 min read


ग़रीबी और बेरोज़गार - साप्ताहिक संवाद
१) एक बड़ा हानिकारक मंत्र हमारे कान में फूंक दिया गया है कि जीवन अभी नहीं है, जीवन कहीं और है, कहीं बाद में है। हम एक आभासीय माध्यम से,...
Ashwin
Sep 14, 20245 min read


तोहि रोकन वाला कौन (कबीर उलटवासी का मर्म)
१) तोहि रोकन वाला कौन। तोहि रोकन वाला कौन, मगन से जाव चली। चिउटी चाली सासुरे, नव मन काजल लाय। हाथी वाक़ी गोद में, ऊँट लिया लटकाय। ...
Ashwin
Sep 14, 20248 min read


क्या हाल है? एक महामंत्र | ध्यान संवाद (सिद्धार्थ, छवि एवं धर्मराज)
१) कई बार दूसरे को देखते हुए हमारी अपनी मनःस्थिति के प्रति हम सजग नहीं होते हैं। आपकी अपनी एक मनःस्थिति होती है, जो की संस्कारों से आती...
Ashwin
Sep 13, 20243 min read


आदत और लीक? - ध्यान संवाद (सिद्धार्थ एवं धर्मराज)
१) अन्यथाभूत देखने से बेहोशी होती है, जिसके कारण दोहराव यानी आदत बनती हैं। हमारे अंदर एक आभासीय जीवन निर्धारित हो जाता है, जो तुलना और...

Dharmraj
Sep 13, 20244 min read


कुछ लोग और और दुःखी क्यूँ होते जाते हैं (सप्ताहांत ध्यान संवाद)
१) हम खुद गहरे अवसाद में हैं, विषाद में हैं, और दूसरों के जीवन में सुधार करना चाहते हैं। मूल मंत्र है कि जीवन ऐसा ही है, यह ऐसा ही है। ...
Ashwin
Sep 12, 20242 min read
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