top of page

Search


अनुग्रहीत होकर भी मैं अनुगृहीत नहीं हूँ
अनुग्रहीत होकर भी मैं अनुग्रहीत नहीं हूँ तुम्हारी अपार कृपा को तो मेरे शब्द भी छेंक नहीं पा रहे फिर भी मैं जानता हूँ यह न छेंक पाने का...

Dharmraj
May 15, 20241 min read


बिना कविता का कवि
तालाब की कच्ची मेड़ पर मुझे कुछ कविताएँ मिली हैं जिन्हें शब्द देना चाहता हूँ सारी दुनिया की भाषाएँ खंगाल डाली हैं पर वे कविता को वैसा...

Dharmraj
May 4, 20241 min read


निर्वाण की पूर्व संध्या
मुझ लौ को साथ ले नाची हवाओं बुझाने को तत्पर आँधी तूफ़ानों तुम्हें भी निर्वाण का आशीष मिले इस अंतिम बुझन से पूर्व मैंने अपने प्राणों के...

Dharmraj
Apr 29, 20241 min read


अंतिम अनुग्रह के झरे फूल
उसने न जाने कितनी यात्रा की है न जाने कितने घरौंदों में उसने पड़ाव डाला है न जाने कितने द्वारों से झूठी मुट्ठी बाँध प्रवेश किया न जाने...

Dharmraj
Apr 22, 20243 min read


मेरा प्रेम विदा करो
हे देह अदेह से न्यारे प्रियतम् तुम्हें कैसे ढूँढूँ देह दृष्टि से मेरी दृष्टि शुद्ध करो हे मन अमन से न्यारे सखा तुम्हें कैसे भेंटूँ चित्त...

Dharmraj
Apr 22, 20241 min read


अरण्यकोत्सव तृतीय (एक उद्गार)
अँधेरा घुप्प है हवाएँ तेज हैं फिर भी जले दीये को जलाए रखने की कोशिश जारी है जलते-जलते दीया लड़खड़ाकर टिमटिमा जाता है फिर भी बुझता नहीं...

Dharmraj
Apr 22, 20241 min read


बिना कोशिश के बोध का उतरना क्या है - ध्यानशाला भोर का सत्र, 21 अप्रैल 2024
यहां जो भी हम कर रहे हैं उसका कोई अर्थ नहीं है, पर साथ ही इससे ज्यादा अर्थपूर्ण और उद्यम और कुछ नहीं हो सकता है। अस्तित्व में सब कुछ...
Ashwin 
Apr 22, 20243 min read
bottom of page




