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तोहि रोकन वाला कौन (कबीर उलटवासी का मर्म)
१) तोहि रोकन वाला कौन। तोहि रोकन वाला कौन, मगन से जाव चली। चिउटी चाली सासुरे, नव मन काजल लाय। हाथी वाक़ी गोद में, ऊँट लिया लटकाय। ...
Ashwin
Sep 14, 20248 min read


क्या हाल है? एक महामंत्र | ध्यान संवाद (सिद्धार्थ, छवि एवं धर्मराज)
१) कई बार दूसरे को देखते हुए हमारी अपनी मनःस्थिति के प्रति हम सजग नहीं होते हैं। आपकी अपनी एक मनःस्थिति होती है, जो की संस्कारों से आती...
Ashwin
Sep 13, 20243 min read


आदत और लीक? - ध्यान संवाद (सिद्धार्थ एवं धर्मराज)
१) अन्यथाभूत देखने से बेहोशी होती है, जिसके कारण दोहराव यानी आदत बनती हैं। हमारे अंदर एक आभासीय जीवन निर्धारित हो जाता है, जो तुलना और...

Dharmraj
Sep 13, 20244 min read


कुछ लोग और और दुःखी क्यूँ होते जाते हैं (सप्ताहांत ध्यान संवाद)
१) हम खुद गहरे अवसाद में हैं, विषाद में हैं, और दूसरों के जीवन में सुधार करना चाहते हैं। मूल मंत्र है कि जीवन ऐसा ही है, यह ऐसा ही है। ...
Ashwin
Sep 12, 20242 min read


सहज मिले सो दूध है (ध्यानशाला भोर का सत्र, 21 अप्रैल 2024)
ध्यानशाला भोर का सत्र, 21 अप्रैल 2024 यहां जो भी हम कर रहे हैं उसका कोई अर्थ नहीं है, पर साथ ही इससे ज्यादा अर्थपूर्ण और उद्यम और कुछ...
Ashwin
Sep 12, 20243 min read


हे देह अदेह से न्यारे प्रियतम्
हे देह अदेह से न्यारे प्रियतम् तुम्हें कैसे ढूँढूँ देह दृष्टि से मेरी दृष्टि शुद्ध करो हे मन अमन से न्यारे सखा तुम्हें कैसे भेंटूँ...

Dharmraj
Sep 11, 20241 min read


बिटिया ब्याहिल बाप - कबीर उलटवासी का मर्म (अरण्यगीत) - धर्मराज
१) बिटिया ब्याहिल बाप। जो चरखा जरि जाये बड़ैया ना मरे, मैं कांतों सूत हजार चरखुला जिन जरे। बाबा मोर बियाह कराव अच्छा बरहि तकाये, ज्यौ...
Ashwin
Jul 20, 20246 min read
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