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तथागत मुझे ले चलो
तथागत मुझे ले चलो ———————— तथागत! मेरे रोम रोम से छलकते अश्रु तुम्हारे चरण कमलों का अभिषेक करें मैं अश्रु की हर बुन्दों में गल गल...

Dharmraj
Jul 12, 20241 min read


अबोध अर्पण । ।प्रभु ज्यों ज्यों तुम्हारी चौखट पर मेरे प्रत्यंग तक गल रहे हैं मुझमें उमड़ उमड़कर बाध कृतज्ञता हिलोरें लेती है अपनी हर आहुति में मैंआनंदमग्न विभोर हो जाता हूँ उस अबा
प्रभु ज्यों ज्यों तुम्हारी चौखट पर मेरे प्रत्यंग तक गल रहे हैं मुझमें उमड़ उमड़कर बाध कृतज्ञता हिलोरें लेती है अपनी हर आहुति में मैं...

Dharmraj
Jun 3, 20241 min read


सदा सुहागिन
बिरहिन ने उस दिन दीप नहीं बाले मंदिर के गोपुर पर पीठ टेक मुँह फेर ठाढ़ी रही उसकी टेक ठाढ़ फेर आराध्य से रूठ रूठ कहती थी कि सुनो आराध्य...

Dharmraj
May 27, 20242 min read


अनुग्रहीत होकर भी मैं अनुगृहीत नहीं हूँ
अनुग्रहीत होकर भी मैं अनुग्रहीत नहीं हूँ तुम्हारी अपार कृपा को तो मेरे शब्द भी छेंक नहीं पा रहे फिर भी मैं जानता हूँ यह न छेंक पाने का...

Dharmraj
May 15, 20241 min read


निर्वाण की पूर्व संध्या
मुझ लौ को साथ ले नाची हवाओं बुझाने को तत्पर आँधी तूफ़ानों तुम्हें भी निर्वाण का आशीष मिले इस अंतिम बुझन से पूर्व मैंने अपने प्राणों के...

Dharmraj
Apr 29, 20241 min read


अंतिम अनुग्रह के झरे फूल
उसने न जाने कितनी यात्रा की है न जाने कितने घरौंदों में उसने पड़ाव डाला है न जाने कितने द्वारों से झूठी मुट्ठी बाँध प्रवेश किया न जाने...

Dharmraj
Apr 22, 20243 min read


मेरा प्रेम विदा करो
हे देह अदेह से न्यारे प्रियतम् तुम्हें कैसे ढूँढूँ देह दृष्टि से मेरी दृष्टि शुद्ध करो हे मन अमन से न्यारे सखा तुम्हें कैसे भेंटूँ चित्त...

Dharmraj
Apr 22, 20241 min read
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