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अरण्यकोत्सव तृतीय (एक उद्गार)
अँधेरा घुप्प है हवाएँ तेज हैं फिर भी जले दीये को जलाए रखने की कोशिश जारी है जलते-जलते दीया लड़खड़ाकर टिमटिमा जाता है फिर भी बुझता नहीं...

Dharmraj
Apr 22, 20241 min read


प्रेम ही हाज़िर है
प्रेम ही हाज़िर है —————— एक प्रेम ही है जो हाज़िर मिलता है तब जब आप चिलचिलाती धूप में आसमान की तरफ़ देखते हैं एक बदली की तरह वह हाज़िर...

Dharmraj
Mar 20, 20241 min read


मरो ही जोगी मरो!
मरो ही जोगी मरो! फिर कहता हूँ! यही सदा कहता रहा हूँ! बार बार कहता रहूँगा कुछ और कभी किसी के लिए और कहने को है ही नहीं कि, “प्रेम एक मात्र...

Dharmraj
Mar 20, 20241 min read


शाप या वरदान
शाप या वरदान ~ ~ उसे अभिन्न मित्रों ने प्रेमियों ने अभिशाप दिया कि तुझसे एक दिन सब का मोह भंग होगा उसने इसे भी उनके दिए...

Dharmraj
Feb 23, 20241 min read
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